Tania Shukla

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सिंदबाद , मैजिकल लाइफ

सिंदबाद ने घर आकर अपने सफर पर निकलने की तैयारियां करना शुरू कर दिया। उसने सफर पर जाने के लिए जो रकम चाहिए थी.. उसके लिए अपना पुश्तैनी मकान गिरवी रखा था। वह भी अपने दिल पर पत्थर रखकर।

 अगर पुराना सिंदबाद होता तो.. उसे इस बात से कोई भी फर्क नहीं पड़ता। लेकिन इस सिंदबाद पर वक्त की इतनी ठोकरें पड़ी थी.. कि उसे हर एक रिश्ते की अहमियत और जिंदगी में रिश्तो की जरूरत समझ आ गई थी। उसे अच्छे से समझ आ गया था कि जो कुछ भी उसने नादानियों में किया था.. वह बेवकूफियां ही थी।


 पर अब वह एक खूबसूरत मुस्तकबिल की तरफ आगे बढ़ना चाहता था। वो भी पिछली सारी गलतियों से सीख लेते हुए। उस दिन सिंदबाद की पूरी रात उसी घर में अपने अम्मी अब्बू के एहसासों को जीते हुए बीती थी। हर एक बीता लम्हा सिंदबाद को उसके  वालीदैन के और नजदीक ले जा रहा था।


 सिंदबाद की आंखों में पानी आ गया था। उसे अपने ऊपर बहुत ही ज्यादा शर्म आ रही थी। वह मन ही मन अपने आप को कोसने लगा था। उसने एक जगह बैठकर अपने बचपन के सारे बिताए लम्हे याद किए।

 वह  सभी लम्हे जो सिंदबाद ने अपने परिवार के साथ बिताए थे। यह सभी लम्हे उसे आने वाली मुसीबतों से लड़ने की ताकत दे रहे थे। कभी  सिंदबाद के अब्बा उसे दिलासा देते हुए दिख रहे थे। तो कभी उसकी अम्मी उसे दुआएं देती और उसकी बलैया लेती दिख रही थी। 


घर के हर कोने में उसके मां बाप की यादें नजर आ रही थी। जो सिंदबाद की आंखों के साथ-साथ उसके दिल को भी सुकून की बारिश से भिगो रही थी। यह वही बारिश थी.. जो उसने अपने मां बाप के साथ रहते कभी महसूस नहीं की थी। कहते हैं ना जो चीज हमें आसानी से मिलती है.. उस चीज की कदर नहीं करते लोग..!! 

सिंदबाद भी आज समझ पाया था कि जिंदगी में घर परिवार की और मां बाप की क्या अहमियत होती है। ऐसे ही पिछली जिंदगी के अच्छे बुरे,  कुछ खट्टे कुछ मीठे लम्हों को याद करते हुए उसकी रात गुजर गई थी।  


सिंदबाद ने फज्र की नमाज़ के वक्त ही सफर पर जाने की तैयारियां करना शुरू कर दिया था। उसने सारा सामान इकट्ठा करके अपने मकान के आंगन में रख दिया था। उसकी आंखों के सामने उसका वही मकान का जिसमें उसका बचपन गुजरा था। 


सिंदबाद अपने बचपन को याद कर ही रहा था कि वह आदमी भी आ गया.. जिसके पास सिंदबाद ने अपना घर गिरवी रखा था।  सिंदबाद ने अपने घर की चाबी उस आदमी को देते हुए भरे दिल से  कहा, "चचा जान..!!  मैं अपनी अमानत आपको सौंप कर जा रहा हूं। रहम करके आप इसका अच्छे से ख्याल रखिएगा।  वापस लौटते ही आप की रकम अदा कर दूंगा। तब तक आप इसका अपने घर की तरह ही ख्याल रखिएगा।"


 उस आदमी ने भी सिंदबाद को दिलासा देते हुए कहा, "बेटा सिंदबाद.. तुम बिल्कुल भी यहां की चिंता मत करना। मैं तुम्हारे घर का बहुत अच्छे से ख्याल रखूंगा। यह घर कल भी तुम्हारा था, आज भी तुम्हारा है और हमेशा तुम्हारा ही रहेगा।"

 ऐसा कहकर  उस आदमी ने सिंदबाद के कंधे पर हाथ रखकर उसे दिलासा दिया। सिंदबाद ने झुक कर उस आदमी को सलाम किया और वह वहां से अपने सफर पर जाने के लिए निकल पड़ा।


यह उसका पहला सफर था जब वह अपने मजबूत इरादों को लेकर  सौदागरों के साथ अपनी नई जिंदगी की शुरुआत के लिए निकल रहा था। उस वक्त जब सारा सामान जहाज पर लदवाया जा रहा था। तब सिंदबाद ने और जहाज पर चढ़ने वाले सभी सौदागरों ने चलने से पहले की नमाज अदा की और खुदा से मांगा कि वह सही सलामत अपना कारोबार करके जल्दी से जल्दी राजी खुशी  जल्द से जल्द अपने परिवार के पास पहुंच जाएं। नमाज अदा कर के सब ने जहाज पर कदम रखा। 

सिंदबाद इस वक्त बहुत ही ज्यादा जोश में था। क्योंकि उसका पहला दरियाई सफर था.. जो उसे बहुत ही ज्यादा रोमांचित कर रहा था। पर पहले सफर की वजह से बहुत ही ज्यादा उसे मुसीबतों का भी सामना करना पड़ रहा था। क्योंकि उसे दरिया में कैसे अपनी जिंदगी गुजारनी थी इस बारे में कोई अंदाजा नहीं था। इस  पानी के सफर में उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता था। 


 सबसे पहली मुसीबत तो दरियाई  सफर की आई। क्योंकि यह उसका पहला सफर था इसलिए जहाज के चलने के कारण उसको हर समय चक्कर और घबराहट रहना लाजमी था। बाकी सभी सौदागरों को ऐसे सफरों का तजुर्बा था।  तो उन्हे बहुत ही ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। 

 पर  सिंदबाद इस पूरे वाक्य में सबसे ज्यादा नातजुर्बाकार और नया था। इसलिए उसे ज्यादा मुसीबत उठानी पड़ रही थी। जहाजी सफर के कारण उसे हर समय चक्कर और मितली आती रहती थी। उसका सर घूमता रहता था.. उस वजह से वह काफी वक्त बहुत ही ज्यादा बीमार भी रहा।  पर इस पूरे वाकई में एक बात जो बहुत अच्छी हुई थी.. वह यह थी कि उस जहाज पर सवार अधिकतर सभी सौदागरों की सिंदबाद से बहुत अच्छी जान पहचान हो गई थी। और इस सब में एक खूबसूरत हसीना जो भी उन्हीं सौदागरों का एक हिस्सा थी।  उससे भी सिंदबाद की मुलाकात हुई।


 उस खूबसूरत हसीना को देखते ही सिंदबाद के जहन में बहुत सी यादें  उतरने लगी। पर अभी तक ना सिंदबाद ने और ना ही उस हसीना ने सिंदबाद से बात करने की कोशिश की।  वह लोग एक मुकम्मल दूरी बनाकर रहते थे। बाकी सब के साथ सिंदबाद की बहुत ही अच्छी जान-पहचान हो गई थी।  उनके साथ हंसी मजाक करते हुए उसकी बीमारी का वक्त कैसे बीत गया.. पता ही नहीं चला।


 कहा जाता है ना कि जब दोस्त साथ हो तो कैसा भी बुरा वक्त हो निकल ही जाता है.. और अगर दोस्त सच्चे हो तो सोने पर सुहागा..!! 


 इस वक्त और कुछ हो भी नहीं सकता था.. क्योंकि वह लोग चारों तरफ पानी से घिरे हुए एक जहाज में थे। इस वक्त लड़ना किसी के लिए भी मुनासिब नहीं था। शायद यह भी एक वजह थी  जिसकी वजह से सभी आपस में हिल मिलकर रहते थे और एक दूसरे की मदद करते हुए अपना वक्त बिताते थे।   

जहाज फारस की खाड़ी में से होकर फारस देश में जाकर रहा था। जो अरब के बाईं ओर बसा है और हिंदुस्तान के पश्चिम की ओर। फारस की खाड़ी लंबाई में ढाई हजार मील और चौड़ाई में सत्तर मील थी। रास्ते में उन्हें कई टापू मिले।  जिनमें उन्होंने ने माल बेचा भी और खरीदा भी।


 सबसे पहला टापू उड़ी टापू था। वहां पर कुछ ज्यादा ही आदिवासी लोग रहा करते थे। उन आदिवासी लोगों के बारे में यह कहा जाता था कि उन लोगों को सिर्फ जानवरों के खाल, दांत और उनके अंग ही के बारे में पता था। उन्होंने वहां अपने बहुत सारे सामान को बेचा और उन जानवरों के अंगों को खरीदा। 

उनके बारे में कहा जाता था कि बहुत ही ज्यादा कीमती और ऐसी ऐसी बीमारियों का इलाज उन अंगों से होता था.. जिनके बारे में आम आदमी तो सोच भी नहीं सकता था। वो लोग वहां तकरीबन एक हफ्ते रुके थे 

 जब वो लोग वहां पहुंचे थे तो वहां के सरदार ने उन सबकी बहुत ही अच्छी खातेदारी की और उन लोगों का इतना अच्छा इस्तकबाल किया कि सारे सौदागरों का दिल खुश हो गया था।


 वहां पहुंचने पर उड़ी के सरदार ने सभी लोगों के रहने का इंतजाम अपने खास घर में करवाया था। वहां का रहन-सहन कुदरती था तो उनका घर भी उसी के हिसाब से बना हुआ था। 

 मिट्टी से बना हुआ बड़ा सा दालान और उसके ऊपर खपरैल की छत। जिसमें से चांदनी रात की चांदनी जब छन कर नीचे आती थी तो ऐसा लगता था कि मानो आसमान की गोद में लाखों-लाख चांद और सितारे।


 उस टापू पर कुदरत की खूबसूरत कारीगरी देखकर दिल बहुत ही ज्यादा खुश हो गया था।  वहां का सरमी माहौल दिल में सुकून पैदा कर रहा था।  सभी सौदागरों ने रात को सुकून की नींद सोकर अपने आप को तरोताजा कर लिया था। 

अब तक सभी सौदागर अपना माल बेच चुके थे और नया माल खरीद कर अगले पड़ाव पर जाने के लिए भी तैयार थे।  पर हवा के रुख को देखते हुए जहाज के कप्तान ने 1 दिन और रुकने का फैसला किया। वहां का माहौल वैसे भी इतना दिलकश था कि उस जगह को छोड़कर जाने का  दिल ही नहीं कर रहा था.. और जब हवा के रुख की वजह से 1 दिन और रुकने की बात हुई.. तो सभी सौदागरों के दिल खुश हो गए थे।


 इन सबके बीच वही हसीना बार-बार सिंदबाद की नजरों के सामने आ रही थी। उसके रहने का इंतजाम सरदार में अपने जनानखाने में करवाया था।  उसके लिए खास इंतजामात भी किए गए थे।  

एक और दिन रूकने की बात सुनकर उस हसीना के चेहरे पर आई मुस्कान देखकर मेरे दिल को बहुत ही ज्यादा सुकून मिला। पता नहीं क्यों वह  हसीना सिंदबाद को अपनी और अपनी और खींचती थी। उसकी कशिश से सिंदबाद अपने आप को छुड़ा नहीं पा रहा था। सिंदबाद ने अपना सर झटका और बाकी सौदागरों  के साथ उस दिन घूमने का इरादा बना लिया था।

 सभी लोग खाने पीने के सामान के साथ घूमने के लिए निकल गए। वहां के सरदार ने अपने कुछ खास आदमियों को उनके साथ भेजा था.. ताकि वह लोग सौदागरों को अच्छे से घुमा सके और जंगली जानवरों से भी उनकी हिफाजत कर सकें। 

वह टापू बहुत ही ज्यादा हरा भरा था। वहां पर बहुत ज्यादा आबादी भी नहीं थी। उस टापू के एक चौथाई हिस्से  पर ही वह कबीला रहता था। बाकी तीन चौथाई हिस्सों पर जंगल था।  जहां बहुत ही सारे जानवर रहते थे। उनमें कुछ जानवर बहुत ही ज्यादा खूंखार भी थे। जो रात को वहां रुकना खतरा पैदा कर सकता था। इसीलिए सरदार ने अपने कुछ लोगों के साथ उन्हें घूमने के लिए भेजा था।

 सभी लोगों ने जंगल के अंदर जाकर एक जगह ऊंचा मचान बनाया था। जहां से वह लोग जंगली जानवरों को देख सकें। उस जंगल में चीते, लोमड़ी, सियार, शेर, गीदड़, गेंडे और भी बहुत सारे जानवर थे। सभी लोगों ने दिन भर जानवरों को देखने का और शिकार करने का लुफ्त उठाया।


 अंधेरा होने से पहले ही सरदार के आदमियों ने उन्हें सही सलामत वापस उनके रहने की जगह पहुंचा दिया था। वह लोग भी आज की इस दिलजोई से बहुत ही ज्यादा खुश थे और थक भी गए थे।  इतनी थकान की वजह से उन्हें जल्दी ही नींद आ गई। सभी इतने सुकून से घोड़े बेच कर सोए हुए थे कि कब सुबह हुई उन्हें पता ही नहीं चला। किसी के जोरदार चिल्लाने की आवाज से एक एक करके उन सबकी आंखें खुली।


 सभी हड़बड़ा कर उठ बैठे थे.. क्योंकि एक तो अनजान जगह पर थे और दूसरा किसी एक का  जागकर पहरा देना बनता था।  इस जगह बहुत ही जंगली जानवर थे.. क्या पता किसी ने हमला ही किया हो?? 

सभी एकदम से दौड़ते हुए बाहर निकले तो सामने एक खूबसूरत हसीना कुछ लोगों पर चिल्ला रही थी। सभी लोग उसी की तरफ आंखें फाड़ फाड़ कर देखने लगे थे। अचानक से वह लड़की पलटी.. उसे देख कर ही सभी की सांसे रुक गई थी। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके साथ की एक सौदागर जो सबसे अलग अलग रहती थी और बहुत ही कम बातें करती थी। इतनी खूबसूरत भी दिखाई दे सकती थी। सभी लोग उसी को घूर रहे थे।


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7 Comments

Anjali korde

10-Aug-2023 11:12 AM

Nice

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RISHITA

06-Aug-2023 09:59 AM

Beautiful part

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Babita patel

04-Aug-2023 05:57 PM

Nice

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